श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 72: भरत का कैकेयी से पिता के परलोकवास का समाचार पा दुःखी हो विलाप करना,कैकेयी द्वारा उनका श्रीराम के वनगमन के वृत्तान्त से अवगत होना  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  2.72.46 
 
 
अथास्य चपला माता तत् स्वकर्म यथातथम्।
तेनैव स्त्रीस्वभावेन व्याहर्तुमुपचक्रमे॥ ४६॥
 
 
अनुवाद
 
  तब चपल स्वभाव वाली भरत की माँ कैकेयी ने मूर्खतापूर्ण, चंचल नारी स्वभाव के कारण अपनी करतूत को विस्तार से बताना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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