श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 72: भरत का कैकेयी से पिता के परलोकवास का समाचार पा दुःखी हो विलाप करना,कैकेयी द्वारा उनका श्रीराम के वनगमन के वृत्तान्त से अवगत होना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.72.24 
 
 
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ किं शेषे राजन्नत्र महायश:।
त्वद्विधा नहि शोचन्ति सन्त: सदसि सम्मता:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  उठो! उठो! हे महान यशस्वी कुमार! तुम इस तरह यहाँ धरती पर क्यों पड़े हो? तुम जैसे सत्पुरुष, जो सभाओं में सम्मानित होते हैं, उन्हें शोक नहीं करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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