श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 72: भरत का कैकेयी से पिता के परलोकवास का समाचार पा दुःखी हो विलाप करना,कैकेयी द्वारा उनका श्रीराम के वनगमन के वृत्तान्त से अवगत होना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  2.72.12 
 
 
राजा भवति भूयिष्ठमहाम्बाया निवेशने।
तमहं नाद्य पश्यामि द्रष्टुमिच्छन्निहागत:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  महाराज प्रायः महारानी के ही महल में रहते हैं, परंतु आज मैं उन्हें वहाँ नहीं पा रहा हूँ। मैं उनसे मिलने की इच्छा से यहाँ आया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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