श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 71: रथ और सेना सहित भरत की यात्रा, अयोध्या की दुरवस्था देखते हुए सारथि से अपना दुःखपूर्ण उद्गार प्रकट करते हुए राजभवन में प्रवेश  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  2.71.9 
 
 
भागीरथीं दुष्प्रतरां सोंऽशुधाने महानदीम्।
उपायाद् राघवस्तूर्णं प्राग्वटे विश्रुते पुरे॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  उसके पश्चात् अंशुधान नामक गाँव के निकट भागीरथी गंगा नदी को पार करना अत्यंत कठिन जानकर रघुनन्दन भरत जी तुरंत ही प्राग्वट नामक प्रसिद्ध नगर में आ गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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