मैं देखता हूँ कि गृहस्थों के घरों में झाड़ू नहीं लगी हुई है। वे खुरदुरे और खूबसूरती से रहित दिखाई देते हैं। उनके दरवाजे खुले हैं। इन घरों में बलि वैश्व देवकर्म नहीं हो रहे हैं। ये धूप की सुगंध से वंचित हैं। इनमें रहने वाले परिवार के सदस्यों को भोजन नहीं मिला है और ये सभी घर उदास दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि इनमें लक्ष्मी का वास नहीं है।