श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 71: रथ और सेना सहित भरत की यात्रा, अयोध्या की दुरवस्था देखते हुए सारथि से अपना दुःखपूर्ण उद्गार प्रकट करते हुए राजभवन में प्रवेश  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.71.29 
 
 
भेरीमृदङ्गवीणानां कोणसंघट्टित: पुन:।
किमद्य शब्दो विरत: सदादीनगति: पुरा॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  भेरी, मृदंग और वीणा के बजने से जो आवाज पैदा होती थी, वह अयोध्या में हमेशा सुनाई देती थी और कभी बंद नहीं होती थी। लेकिन आज वह आवाज क्यों बंद हो गई है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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