श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 71: रथ और सेना सहित भरत की यात्रा, अयोध्या की दुरवस्था देखते हुए सारथि से अपना दुःखपूर्ण उद्गार प्रकट करते हुए राजभवन में प्रवेश  »  श्लोक 21-22h
 
 
श्लोक  2.71.21-22h 
 
 
अयोध्यायां पुरा शब्द: श्रूयते तुमुलो महान्॥ २१॥
समन्तान्नरनारीणां तमद्य न शृणोम्यहम्।
 
 
अनुवाद
 
  पहले अयोध्या नगरी में चारों ओर स्त्री-पुरुषों का अत्यन्त शोर-गुल सुनाई देता था; किन्तु आज मैं वह शोर-गुल नहीं सुन रहा हूँ।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.