श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 71: रथ और सेना सहित भरत की यात्रा, अयोध्या की दुरवस्था देखते हुए सारथि से अपना दुःखपूर्ण उद्गार प्रकट करते हुए राजभवन में प्रवेश  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  2.71.11 
 
 
तोरणं दक्षिणार्धेन जम्बूप्रस्थं समागमत्।
वरूथं च ययौ रम्यं ग्रामं दशरथात्मज:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  तोरण गाँव के दक्षिणी आधे हिस्से वाले क्षेत्र से होकर जम्बूप्रस्थ पहुँचे। तत्पश्चात् दशरथ कुमार भरत एक रमणीय ग्राम वरूथ नामक गाँव में गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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