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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 70: दूतों का भरत को वसिष्ठजी का संदेश सुनाना, भरत का पिता आदि की कुशल पूछना, शत्रुघ्न के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करना
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श्लोक 5
श्लोक
2.70.5
अत्र विंशतिकोटॺस्तु नृपतेर्मातुलस्य ते।
दशकोटॺस्तु सम्पूर्णास्तथैव च नृपात्मज॥ ५॥
अनुवाद
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इस बेशकीमती समान में से बीस करोड़ मूल्य का सामान आपके नाना केकेयनरेश के लिए है और दस करोड़ मूल्य का सामान आपके मामा के लिए है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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