बलेन गुप्तो भरतो महात्मा
सहार्यकस्यात्मसमैरमात्यै:।
आदाय शत्रुघ्नमपेतशत्रु-
र्गृहाद् ययौ सिद्ध इवेन्द्रलोकात्॥ ३०॥
अनुवाद
अजेय महापुरुष भरत, अपनी और मामा की सेना से सुरक्षित होकर, शत्रुघ्न को अपने रथ पर बैठाकर, नाना के अपने ही समान माननीय मंत्रियों के साथ मामा के घर से निकल पड़े। मानो कोई सिद्ध पुरुष इन्द्रलोक से किसी अन्य स्थान के लिए निकल पड़ा हो।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे सप्ततितम: सर्ग:॥ ७०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें सत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ७०॥