श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 70: दूतों का भरत को वसिष्ठजी का संदेश सुनाना, भरत का पिता आदि की कुशल पूछना, शत्रुघ्न के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  2.70.15 
 
 
राजन् पितुर्गमिष्यामि सकाशं दूतचोदित:।
पुनरप्यहमेष्यामि यदा मे त्वं स्मरिष्यसि॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  राजन्! दूतों के कहने पर मैं इस समय पिताजी के पास जा रहा हूँ। पुनः जब आप मुझे याद करेंगे, तब यहाँ आ जाऊँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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