श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 70: दूतों का भरत को वसिष्ठजी का संदेश सुनाना, भरत का पिता आदि की कुशल पूछना, शत्रुघ्न के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.70.13 
 
 
भरतश्चापि तान् दूतानेवमुक्तोऽभ्यभाषत।
आपृच्छेऽहं महाराजं दूता: संत्वरयन्ति माम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  भरत ने उन दूतों से कहा, "मैं महाराज से पूछता हूँ कि आप सभी दूत मुझे शीघ्र अयोध्या लौटने के लिए कह रहे हैं। अतः आपकी क्या आज्ञा है?"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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