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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 70: दूतों का भरत को वसिष्ठजी का संदेश सुनाना, भरत का पिता आदि की कुशल पूछना, शत्रुघ्न के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करना
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श्लोक 11
श्लोक
2.70.11
एवमुक्तास्तु ते दूता भरतेन महात्मना।
ऊचु: सम्प्रश्रितं वाक्यमिदं तं भरतं तदा॥ ११॥
अनुवाद
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जब महात्मा भरत ने ऐसा पूछा, तो उस समय दूतों ने विनयपूर्वक उनसे यह बात कही-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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