श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 55: श्रीराम आदि का अपने ही बनाये हुए बेडे से यमुनाजी को पार करना, सीता की यमुना और श्यामवट से प्रार्थना,यमुनाजी के समतल तट पर रात्रि में निवास करना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  2.55.21 
 
 
कालिन्दीमथ सीता तु याचमाना कृताञ्जलि:।
तीरमेवाभिसम्प्राप्ता दक्षिणं वरवर्णिनी॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार सुंदर सीता हाथ जोड़कर यमुना जी से प्रार्थना कर रही थीं और दक्षिण तट पर पहुँच गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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