अतिक्रान्तमतिक्रान्तमनवाप्य मनोरथम्।
राज्ये राममनिक्षिप्य पिता मे विनशिष्यति॥ १९॥
अनुवाद
अपने मनोरथ को प्राप्त न कर पाने के कारण श्री राम को राज्य पर स्थापित किए बिना ही "हाय! मेरा सब कुछ नष्ट हो गया, नष्ट हो गया" ऐसा कहते हुए मेरे पिताजी अपने प्राण त्याग देंगे।