श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 51: निषादराज गुह के समक्ष लक्ष्मण का विलाप  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  2.51.1 
 
 
तं जाग्रतमदम्भेन भ्रातुरर्थाय लक्ष्मणम्।
गुह: संतापसंतप्तो राघवं वाक्यमब्रवीत्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  निषादराज गुह को लक्ष्मण को अपने भाई के प्रति अत्यंत प्रेम के साथ जागते देख बहुत दुख हुआ। उन्होंने रघुकुल के राजकुमार लक्ष्मण से कहा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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