श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 50: श्रीराम का शृङ्गवेरपुर में गङ्गा तट पर पहुँचकर रात्रि में निवास, वहाँ निषादराज गुह द्वारा उनका सत्कार  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  2.50.4 
 
 
ततो रुचिरताम्राक्षो भुजमुद्यम्य दक्षिणम्।
अश्रुपूर्णमुखो दीनोऽब्रवीज्जानपदं जनम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर श्रीराम ने जो सुंदर और लाल आँखों वाले थे, ने दाहिनी भुजा उठाकर नेत्रों से आँसू बहाते हुए दु:खी होकर जनपद के लोगों से कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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