वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 5: वसिष्ठजी का सीता सहित श्रीराम को उपवास व्रत की दीक्षा देना,राजा दशरथ का अन्तःपुर में प्रवेश
»
श्लोक 8
श्लोक
2.5.8
स चैनं प्रश्रितं दृष्ट्वा सम्भाष्याभिप्रसाद्य च।
प्रियार्हं हर्षयन् राममित्युवाच पुरोहित:॥ ८॥
अनुवाद
play_arrowpause
पुरोहित ने श्रीराम को प्रश्रित अर्थात् उनके सामने उपस्थित हुए देख उनसे बात की और प्रसन्न किया। उसके बाद उन्हें प्रसन्नता प्राप्त कराते हुए इस प्रकार कहा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.