श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 5: वसिष्ठजी का सीता सहित श्रीराम को उपवास व्रत की दीक्षा देना,राजा दशरथ का अन्तःपुर में प्रवेश  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  2.5.8 
 
 
स चैनं प्रश्रितं दृष्ट्वा सम्भाष्याभिप्रसाद्य च।
प्रियार्हं हर्षयन् राममित्युवाच पुरोहित:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरोहित ने श्रीराम को प्रश्रित अर्थात् उनके सामने उपस्थित हुए देख उनसे बात की और प्रसन्न किया। उसके बाद उन्हें प्रसन्नता प्राप्त कराते हुए इस प्रकार कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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