श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 43: महारानी कौसल्या का विलाप  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  2.43.10 
 
 
श्रुत्वैवोपस्थितौ वीरौ कदायोध्या भविष्यति।
यशस्विनी हृष्टजना सूच्छ्रितध्वजमालिनी॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  सभी अयोध्यावासी ये सुनकर हर्षित हो उठेंगे कि वीर श्रीराम और लक्ष्मण वन से लौट आए हैं और यशस्विनी अयोध्यापुरी में हर घर पर ऊंचे-ऊंचे ध्वज लहराने लगेंगे, जिससे पूरी नगरी की शोभा बढ़ जाएगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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