श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 36: दशरथ का श्रीराम के साथ सेना और खजाना भेजने का आदेश, कैकेयी द्वारा इसका विरोध, राजा का श्रीराम के साथ जाने की इच्छा प्रकट करना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  2.36.17 
 
 
एवमुक्तो धिगित्येव राजा दशरथोऽब्रवीत्।
व्रीडितश्च जन: सर्व: सा च तन्नावबुध्यत॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  उसके ऐसा कहनेपर राजा दशरथने कहा—‘धिक्कार है।’ वहाँ जितने लोग बैठे थे सभी लाजसे गड़ गये; किंतु कैकेयी अपने कथनके अनौचित्यको अथवा राजाद्वारा दिये गये धिक्कारके औचित्यको नहीं समझ सकी॥ १७॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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