श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 36: दशरथ का श्रीराम के साथ सेना और खजाना भेजने का आदेश, कैकेयी द्वारा इसका विरोध, राजा का श्रीराम के साथ जाने की इच्छा प्रकट करना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  2.36.12 
 
 
राज्यं गतधनं साधो पीतमण्डां सुरामिव।
निरास्वाद्यतमं शून्यं भरतो नाभिपत्स्यते॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  राजन! जिस शराब की सारी शराब पहले ही पी ली गई हो, उसे लोग पीना पसंद नहीं करते हैं। उसी प्रकार इस धन-सम्पत्ति से रहित और ख़ाली राज्य को, जो किसी के लिए आकर्षक नहीं रह गया है, भरत स्वीकार नहीं करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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