वसिष्ठजी के पुत्र ब्राह्मणों में सर्वश्रेष्ठ आर्य सुयज्ञ को तुरंत यहाँ बुलाओ। मैं इन सभी का और बाकी बचे हुए ब्राह्मणों का भी सत्कार करके वन में जाऊँगा।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे एकत्रिंश: सर्ग:॥ ३१॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें इकतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३१॥