श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  2.31.36 
 
 
वसन्तीह दृढं भक्त्या गुरुषु द्विजसत्तमा:।
तेषामपि च मे भूय: सर्वेषां चोपजीविनाम्॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  वसन्ती में रहने वाले जो सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण गुरुजनों के प्रति दृढ़ भक्तिभाव से युक्त हैं, उन्हें और मेरे सभी आश्रितजनों को भी मेरा यह धन बाँटा जाए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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