श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  2.31.34 
 
 
तमुवाचात्मवान् राम: प्रीत्या लक्ष्मणमागतम्।
काले त्वमागत: सौम्य कांक्षिते मम लक्ष्मण॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  तब मनस्वी श्रीराम ने वहाँ आये हुए लक्ष्मण से प्रसन्न होकर कहा - "सौम्य! लक्ष्मण! तुम बिलकुल सही समय पर आये हो। इसी समय तुम्हारा आना मुझे अभीष्ट था।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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