श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  2.31.3 
 
 
यदि गन्तुं कृता बुद्धिर्वनं मृगगजायुतम्।
अहं त्वानुगमिष्यामि वनमग्रे धनुर्धर:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि आपने जंगली जानवरों और हाथियों से भरे जंगल में जाने का निश्चय कर लिया है तो मैं भी आपका अनुसरण करूँगा। मैं आगे-आगे चलूँगा और अपने हाथ में धनुष लेकर आपकी रक्षा करूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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