श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  2.31.28 
 
 
रामस्त्वनेन वाक्येन सुप्रीत: प्रत्युवाच तम्।
व्रजापृच्छस्व सौमित्रे सर्वमेव सुहृज्जनम्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण के इस कथन से श्रीराम अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने लक्ष्मण से कहा - "हे सुमित्रानंदन! जाओ, माता सहित सभी सुहृदों से मिलकर अपनी वनयात्रा के विषय में उन्हें बताओ और उनसे आज्ञा एवं अनुमति लो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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