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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना
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श्लोक 26
श्लोक
2.31.26
आहरिष्यामि ते नित्यं मूलानि च फलानि च।
वन्यानि च तथान्यानि स्वाहार्हाणि तपस्विनाम्॥ २६॥
अनुवाद
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मैं आपके लिए प्रतिदिन फल-मूल लाऊँगा और जंगल में तपस्वियों को मिलने वाली विभिन्न प्रकार की हवन सामग्री भी जुटाता रहूँगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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