श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  2.31.19 
 
 
तवैव तेजसा वीर भरत: पूजयिष्यति।
कौसल्यां च सुमित्रां च प्रयतो नास्ति संशय:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर! तुम्हारे तेज से प्रेरित होकर भरत, अपनी माँ कौशल्या और सुमित्रा का श्रद्धापूर्वक पूजन करेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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