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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 31: श्रीराम और लक्ष्मण का संवाद, श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण का सुहृदों से पूछकर और दिव्य आयुध लाकर वनगमन के लिये तैयार होना
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श्लोक 14
श्लोक
2.31.14
न भरिष्यति कौसल्यां सुमित्रां च सुदु:खिताम्।
भरतो राज्यमासाद्य कैकेय्यां पर्यवस्थित:॥ १४॥
अनुवाद
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भरत राज्य प्राप्त करके भी कैकेयी के अधीन हो जाने के कारण दु:खित कौशल्या और सुमित्रा का भरण-पोषण नहीं करेंगे॥ १४॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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