सा हि राज्यमिदं प्राप्य नृपस्याश्वपते: सुता।
दु:खितानां सपत्नीनां न करिष्यति शोभनम्॥ १३॥
अनुवाद
केकयराज अश्वपति की पुत्री कैकेयी महाराज दशरथ के राज्य को पाकर मेरे वियोग के दुःख में डूबी हुई अपनी सौतों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करेगी और उन्हें देखकर स्वयं भी दुखी रहेगी॥ १३॥