राज्ञस्तूपरते वाक्ये जनघोषो महानभूत्।
शनैस्तस्मिन् प्रशान्ते च जनघोषे जनाधिप:॥ ५॥
वसिष्ठं मुनिशार्दूलं राजा वचनमब्रवीत्।
अनुवाद
राजा के बोल समाप्त होते ही सभी लोग खुशी के मारे ज़ोर-ज़ोर से शोर मचाने लगे। धीरे-धीरे उस शोर के शांत होने पर प्रजा का पालन करने वाले राजा दशरथ ने मुनि श्रेष्ठ वशिष्ठ से कहा-।