श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 3: राज्याभिषेक की तैयारी , राजा दशरथ का श्रीराम को राजनीति की बातें बताना  »  श्लोक 5-6h
 
 
श्लोक  2.3.5-6h 
 
 
राज्ञस्तूपरते वाक्ये जनघोषो महानभूत्।
शनैस्तस्मिन् प्रशान्ते च जनघोषे जनाधिप:॥ ५॥
वसिष्ठं मुनिशार्दूलं राजा वचनमब्रवीत्।
 
 
अनुवाद
 
  राजा के बोल समाप्त होते ही सभी लोग खुशी के मारे ज़ोर-ज़ोर से शोर मचाने लगे। धीरे-धीरे उस शोर के शांत होने पर प्रजा का पालन करने वाले राजा दशरथ ने मुनि श्रेष्ठ वशिष्ठ से कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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