श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 3: राज्याभिषेक की तैयारी , राजा दशरथ का श्रीराम को राजनीति की बातें बताना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.3.13 
 
 
अन्त:पुरस्य द्वाराणि सर्वस्य नगरस्य च।
चन्दनस्रग्भिरर्च्यन्तां धूपैश्च घ्राणहारिभि:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  अन्तःपुर और पूरे नगर के सभी दरवाजों को चंदन की लकड़ी और फूलों की मालाओं से सजाओ। साथ ही, वहाँ ऐसी सुगंधित धूप जलाओ जिसकी खुशबू लोगों को अपनी ओर आकर्षित करे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.