श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 3: राज्याभिषेक की तैयारी , राजा दशरथ का श्रीराम को राजनीति की बातें बताना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  2.3.1 
 
 
तेषामञ्जलिपद्मानि प्रगृहीतानि सर्वश:।
प्रतिगृह्याब्रवीद् राजा तेभ्य: प्रियहितं वच:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  सभासदों ने अपनी कमलपुष्प के आकार वाली अंजलियों को सिर से लगाकर राजा दशरथ के प्रस्ताव का समर्थन किया। तब राजा दशरथ ने उनकी पद्माञ्जलि स्वीकार करके उनसे प्रिय और हितकारी वचन बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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