श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 25: कौसल्या का श्रीराम की वनयात्रा के लिये मङ्गल कामना पूर्वक स्वस्तिवाचन करना और श्रीराम का उन्हें प्रणाम करके सीता के भवन की ओर जाना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  2.25.36 
 
 
ऋषय: सागरा द्वीपा वेदा लोका दिशश्च ते।
मङ्गलानि महाबाहो दिशन्तु शुभमङ्गलम्॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋषियों, सागरों, द्वीपों, वेदों, सभी लोकों और दिशाओं का आशीर्वाद आपके साथ बना रहे। हे महाबाहो, आप पर सदैव शुभ और कल्याण बना रहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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