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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 25: कौसल्या का श्रीराम की वनयात्रा के लिये मङ्गल कामना पूर्वक स्वस्तिवाचन करना और श्रीराम का उन्हें प्रणाम करके सीता के भवन की ओर जाना
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श्लोक 28
श्लोक
2.25.28
घृतं श्वेतानि माल्यानि समिधश्चैव सर्षपान्।
उपसम्पादयामास कौसल्या परमाङ्गना॥ २८॥
अनुवाद
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महारानी कौसल्या ने ब्राह्मण के लिए घी, सफेद फूल, माला, समिधा और सरसों जैसी वस्तुएँ एकत्रित कीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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