एतद् वचस्तस्य निशम्य माता
सुधर्म्यमव्यग्रमविक्लवं च।
मृतेव संज्ञां प्रतिलभ्य देवी
समीक्ष्य रामं पुनरित्युवाच॥ ५१॥
अनुवाद
श्रीराम के धर्मसंगत, व्यग्रता और आकुलता से रहित वचन सुनकर माता कौशल्या ने मृत व्यक्ति के पुनः जीवित होने की तरह ही होश में आकर अपने पुत्र श्रीराम की ओर देखा और इस प्रकार कहा-