श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 21: लक्ष्मण का श्रीराम को बलपूर्वक राज्य पर अधिकार कर लेने के लिये प्रेरित करना तथा श्रीराम का पिता की आज्ञा के पालन को ही धर्म बताना  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  2.21.51 
 
 
एतद् वचस्तस्य निशम्य माता
सुधर्म्यमव्यग्रमविक्लवं च।
मृतेव संज्ञां प्रतिलभ्य देवी
समीक्ष्य रामं पुनरित्युवाच॥ ५१॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम के धर्मसंगत, व्यग्रता और आकुलता से रहित वचन सुनकर माता कौशल्या ने मृत व्यक्ति के पुनः जीवित होने की तरह ही होश में आकर अपने पुत्र श्रीराम की ओर देखा और इस प्रकार कहा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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