श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 21: लक्ष्मण का श्रीराम को बलपूर्वक राज्य पर अधिकार कर लेने के लिये प्रेरित करना तथा श्रीराम का पिता की आज्ञा के पालन को ही धर्म बताना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  2.21.48 
 
 
शोक: संधार्यतां मातर्हृदये साधु मा शुच:।
वनवासादिहैष्यामि पुन: कृत्वा पितुर्वच:॥ ४८॥
 
 
अनुवाद
 
  माँ! आप अपने हृदय में शोक को अच्छी तरह से छिपाकर रखें। दुःख न करें। पिताजी के आदेश का पालन करके मैं फिर वनवास से यहाँ लौट आऊँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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