धर्मो हि परमो लोके धर्मे सत्यं प्रतिष्ठितम्।
धर्मसंश्रितमप्येतत् पितुर्वचनमुत्तमम्॥ ४१॥
अनुवाद
धर्म ही संसार में सबसे श्रेष्ठ चीज है, और धर्म में ही सत्य की स्थापना होती है। अपने पिता के इस वचन का भी पालन करना धर्म के आधार पर ही संभव है, इसलिए यह वचन भी सर्वश्रेष्ठ है॥ ४१॥