श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 21: लक्ष्मण का श्रीराम को बलपूर्वक राज्य पर अधिकार कर लेने के लिये प्रेरित करना तथा श्रीराम का पिता की आज्ञा के पालन को ही धर्म बताना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  2.21.18 
 
 
हरामि वीर्याद् दु:खं ते तम: सूर्य इवोदित:।
देवी पश्यतु मे वीर्यं राघवश्चैव पश्यतु॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  हे रघुनाथ जी, इस समय आप और अन्य सभी लोग मेरे पराक्रम का दर्शन करें। जैसे सूर्य निकलने पर अंधकार का नाश हो जाता है, उसी प्रकार मैं भी अपनी शक्ति से आपके सभी दुखों का अंत कर दूंगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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