स्थिरं हि नूनं हृदयं ममायसं
न भिद्यते यद् भुवि नो विदीर्यते।
अनेन दु:खेन च देहमर्पितं
ध्रुवं ह्यकाले मरणं न विद्यते॥ ५१॥
अनुवाद
मेरा हृदय लोहे का बना हुआ है, जो पृथ्वी पर पड़ने पर भी नहीं फटता है और न ही टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। यह शरीर भी दुःख से व्याप्त होने के बावजूद टुकड़े-टुकड़े नहीं हो जाता है। निश्चित रूप से, मृत्यु का समय आने से पहले किसी की मृत्यु नहीं होती है।