श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 20: राजा दशरथ की अन्य रानियों का विलाप, श्रीराम का कौसल्याजी को अपने वनवास की बात बताना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  2.20.32 
 
 
सा निकृत्तेव सालस्य यष्टि: परशुना वने।
पपात सहसा देवी देवतेव दिवश्च्युता॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  यह सुनते ही रानी कौशल्या वन में कुल्हाड़ी से काटी गई शाल वृक्ष की डाल की तरह अचानक मानो स्वर्ग से धरती पर गिर पड़ी, जैसे कोई देवी स्वर्ग से धरती पर आ गिरी हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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