श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  2.18.38 
 
 
भरत: कोसलपते: प्रशास्तु वसुधामिमाम्।
नानारत्नसमाकीर्णां सवाजिरथसंकुलाम्॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  कोसल के राजा की यह धरती, जो विभिन्न प्रकार के रत्नों से भरी-पूरी है और घोड़ों और रथों से व्याप्त है, उसका भरत शासन करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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