वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना
»
श्लोक 38
श्लोक
2.18.38
भरत: कोसलपते: प्रशास्तु वसुधामिमाम्।
नानारत्नसमाकीर्णां सवाजिरथसंकुलाम्॥ ३८॥
अनुवाद
play_arrowpause
कोसल के राजा की यह धरती, जो विभिन्न प्रकार के रत्नों से भरी-पूरी है और घोड़ों और रथों से व्याप्त है, उसका भरत शासन करें।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.