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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 27
श्लोक
2.18.27
एतत् तु वचनं श्रुत्वा कैकेय्या समुदाहृतम्।
उवाच व्यथितो रामस्तां देवीं नृपसंनिधौ॥ २७॥
अनुवाद
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कैकेयी के मुँह से निकली बातें सुनकर श्री राम के मन में बहुत पीड़ा उठी। उन्होंने राजा के समक्ष ही देवी कैकेयी से इस प्रकार कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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