श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  2.18.26 
 
 
यदि त्वभिहितं राज्ञा त्वयि तन्न विपत्स्यते।
ततोऽहमभिधास्यामि न ह्येष त्वयि वक्ष्यति॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि राजा ने आपसे जो कहा है, वह आपके कानों में पड़कर वहीं समाप्त न हो जाए, यदि आप उनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन कर सकते हैं, तो मैं आपको सब कुछ खुलकर बता दूंगी। वे स्वयं आपसे कुछ नहीं कहेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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