श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.18.23 
 
 
अतिसृज्य ददानीति वरं मम विशाम्पति:।
स निरर्थं गतजले सेतुं बन्धितुमिच्छति॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  निर्धन पति ने पहले ही मुझे ‘मैं दूंगा’ ऐसा वादा करके वरदान दे दिया है और अब उससे बचने के लिए व्यर्थ प्रयास कर रहा है, पानी बह जाने के बाद उसे रोकने के लिए बाँध बनाने की निरर्थक कोशिश कर रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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