श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.18.22 
 
 
एष मह्यं वरं दत्त्वा पुरा मामभिपूज्य च।
स पश्चात् तप्यते राजा यथान्य: प्राकृतस्तथा॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  इन लोगों ने पहले मेरा आदर करते हुए मुझे मनचाहा वरदान दे दिया और अब ये दूसरे साधारण मनुष्यों की तरह उसके लिए पछता रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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