श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  2.18.20 
 
 
न राजा कुपितो राम व्यसनं नास्य किंचन।
किंचिन्मनोगतं त्वस्य त्वद्भयान्नानुभाषते॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  राम, महाराज कुपित नहीं हैं और न ही कोई कष्ट उन्हें हुआ है। उनके मन में कोई बात है, परन्तु तुम्हारे डर से वे नहीं कह पा रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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