श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम का कैकेयी से पिता के चिन्तित होने का कारण पूछना,कैकेयी का कठोरतापूर्वक अपने माँगे हुए वरों का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  2.18.10 
 
 
स दीन इव शोकार्तो विषण्णवदनद्युति:।
कैकेयीमभिवाद्यैव रामो वचनमब्रवीत्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  राम इन सब विचारों से व्याकुल हो गए और उन्हें बड़ा दुख हुआ। विषाद के कारण उनके मुख का तेज चला गया। उन्होंने कैकेयी को प्रणाम किया और उनसे पूछने लगे—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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