सुरम्य चंदनों के ढेर, अगुरु की सुगंध, उत्तम गंधद्रव्य, अलसी और सन के रेशों से बने कपड़े और रेशमी वस्त्र, अनमोल मोती और श्रेष्ठ स्फटिक रत्न उस विशाल और भव्य राजपथ की शोभा बढ़ा रहे थे। वह मार्ग नाना प्रकार के फूलों और तरह-तरह के खाने-पीने की चीजों से भरा हुआ था। उसके चौराहों की दही, अक्षत, हविष्य, लावा, धूप, अगरबत्ती, चंदन, विभिन्न प्रकार की फूलों की मालाओं और सुगंधित द्रव्यों से निरंतर पूजा की जाती थी। स्वर्गलोक में विराजमान देवराज इंद्र की भांति रथ पर सवार श्री राम ने उस राजपथ को देखा।