श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम का राजपथ की शोभा देखते और सुहृदों की बातें सुनते हुए पिता के भवन में प्रवेश  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  2.17.21 
 
 
स सर्वा: समतिक्रम्य कक्ष्या दशरथात्मज:।
संनिवर्त्य जनं सर्वं शुद्धान्त:पुरमत्यगात्॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार सम्पूर्ण द्वारों को पार करके दशरथ के पुत्र श्रीराम साथ आए हुए सभी लोगों को विदा करके स्वयं अंतःपुर में चले गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.